देश में त्योहारी सीजन की शुरुआत हो चुकी है, लेकिन इस बार ऑटोमोबाइल सेक्टर में वो धूम-धड़ाका देखने को नहीं मिल रहा है, जो इससे पहले हर साल दिखाई देता था। इस बार ऑटो कंपनियों के साथ ग्राहकों के हाथ भी खाली हैं। लेकिन दोस्तों कुछ लोगों का कहना है की ये सब कुछ बेकार की बात है बल्कि इस साल तो कारों पर भरी डिस्काउंट मिल रहा है और वो भी आसान किस्तों पे | पिछले साल तक अखबारों में ऑटो कंपनियों की तरफ से कारों पर दी जा रही बंपर छूट के विज्ञापन भरे रहते थे, लेकिन इस इस बार रौनक गायब है। वहीं यह डिस्काउंट्स में ये सुस्ती आगे भी जारी रह सकती है। 2019 के मुकाबले इस साल छूट में तीन गुना तक की कटौती हुई है। इसका अंदाजा इसी से लगा सकते हैं कि जेटो डायनेमिक्स की तरफ से जारी डाटा के मुताबिक 88 मॉडल्स में से 28 पर इस साल कोई छूट नहीं है, इनमें से सबसे ज्यादा मॉडल बेस्ट सेलिंग हैं। वहीं 2020 में 102 मॉडल्स में से 21 पर छूट नहीं थी, जबकि 2019 में 106 मॉडल्स में से 23 पर कोई डिस्काउंट नही था।
जारी आंकड़ों के मुताबिक 2019 के मुकाबले एसयूवी गाड़ियों पर मिलने वाले डिस्काउंट में 50 फीसदी तक की कटौती हुई है, जो 47,000 रुपये से गिर कर 15,000 रुपये तक पंहुच गया है। वहीं छोटी कारों पर भी छूट में कटौती हुई है। छोटी कारों पर मिलने वाला डिस्काउंट 43,000 रुपये से गिर कर 13,000 रुपये तक पहुंच गया है। यही हाल सेडान कारों का है. जो 41,804 रुपये से घट कर 11,074 रुपये तक है। ऑफर्स और बंपर छूट में लगातार हो रही कटौती के लिए सेमीकडंक्टर यानी चिप की शॉर्टेज को बड़ी वजह माना जा रहा है। जिसका नतीजा यह रहा है कि कारों पर छूट कम हो गई है, दाम बढ़ गए हैं, और वेटिंग पीरियड लंबा हो गया है।
ऑटो सेक्टर से जुड़े लोगों का कहना है कि पिछले महीने के मुकाबले इस महीने कई गाड़ियों पर छूट घटी है। वहीं वेटिंग पीरियड पहले के मुकाबले बढ़ गया है। देश की सबसे बड़ी कार कंपनी मारुति ने भी इस बार डिस्काउंट में कटौती की है, वहीं टाटा मोटर्स और महिंद्रा भी उसी रास्ते पर चल रही हैं। टाटा मोटर्स का कहना है कि उन्हें मांग भरपूर मिल रही है, अगस्त महीने में उन्हें अच्छी खासी मांग देखने को मिली, लेकिन अब असल समस्या सप्लाई चेन में उत्पन्न हुई बाधा है।
त्योहारी सीजन ऐसा वक्त होता है, जिसका पूरा देश इंतजार करता है। बाजारों में रौनक होती है और डिस्काउंट्स जबरदस्त मिलता है। ग्राहकों को इस साल भी कुछ ऐसा ही इंतजार था। लेकिन इसके उलट ग्राहकों को अपनी सपनों की कार की डिलीवरी के लिए महीनों का इंतजार करना पड़ रहा है। कुछ उत्पादों पर वेटिंग लिस्ट 10 महीने तक है। वहीं डिलीवरी के समय ग्राहकों को गाड़ियों के ज्यादा दाम भी चुकाने पड़ रहे हैं। वहीं चिप की कमी के चलते मारुति पहले ही एलान कर चुकी है कि वह अक्तूबर में अपने उत्पादन में 40 फीसदी की कटौती करेगी। मारुति के आंकड़ों के मुताबिक उसके पास15 लाख वाहनों की डिलीवरी पेंडिंग है, वहीं ह्यूंदै के पास यह संख्या एक लाख है, जबकि किआ के पास 75000 और निसान के पास 25,000 और टोयाटा के पास 14000 गाड़ियों की डिलीवरी पेंडिंग है।
चिप की कमी से डिस्काउंट तो कम हुए ही हैं, वहीं कार कंपनियों को गाड़ियों के दाम बढ़ाने पर भी मजबूर होना पड़ रहा है। दोस्तों इस बार कंपनी काफी सरे ऐसे फीचर्स डाले हैं कार में की आप भी चौंक जायेंगे | इसके साथ ही आपको मिल रहा है भारी डिस्काउंट | एक अनुमान के मुताबिक 2021 की शुरुआत से अभी तक गाड़ियों की कीमतों में पांच फीसदी तक की बढ़ोतरी हो चुकी है। वहीं यह बढ़ोतरी अभी आगे भी जारी रह सकती है। इसकी वजह है कि कमोडिटी की कीमतें बढ़ रही हैं। स्टील पहले के मुकाबले महंगा हो चुका है। फाडा के अध्यक्ष विंकेश गुलाटी का कहना है कि चिप की कमी और स्टील के बढ़ते दाम गाड़ियों की कीमत में बढ़ोतरी के लिए जिम्मेदार हैं। जहां डीजल व्हीकल्स पर 6-8 महीने तक का वेटिंग पीरियड है, वहीं पेट्रोल कारें चार महीने तक की वेटिंग पर उपलब्ध हैं। वहीं कार निर्माता कंपनियां ग्राहकों को एंट्री लेवल कारें खरीदने पर जोर दे रही हैं, जिनमें चिप का कम से कम इस्तेमाल होता है और कम फीचर होते हैं। 2019 के मुकाबले एंट्री लेवल सेगमेंट की बिक्री 30 फीसदी घटी है। यहां तक कि एंट्री लेवल कारों पर कंपनियां आकर्षक फाइनेंस स्कीम भी ला रही हैं, लेकिन ग्राहक उनकी तरफ आकर्षित नहीं हो रहे हैं। वहीं टॉप वैरिएंट्स में मांग है लेकिन सप्लाई की कमी है। वहीं चिप शॉर्टेज की वजह से ग्राहकों को भी उनकी मनपसंद कारें नहीं मिल पा रही हैं, और उन्हें उस सेगमेंट की तरफ रुख करना पड़ रहा है जहां कम वेटिंग पीरियड है।