Union Budget 2022 Price, Specification – इलेक्ट्रिक वाहनों के लिए बैटरी स्वैपिंग नीति लाएगी सरकार, जानें क्या होंगे फायदे |

Summary

  • Battery Swapping Policy: बैटरी स्वैपिंग सुविधा का फायदा यह होगा कि इलेक्ट्रिक व्हीकल (ईवी) में बैटरी चार्जिंग की समस्या खत्म हो जाएगी। साथ ही कोई भी ईवी वाहन स्वामी अपनी डिस्चार्ज बैटरी के बदले फुल चार्ज बैटरी ले सकता है। इंडियन ऑयल ने भी इलेक्ट्रिक व्हीकल्स के लिए बैटरी स्वैपिंग सुविधा शुरू कर दी है |
  • मंगलवार को अपने चौथे बजट (Budget 2022) भाषण में वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने इलेक्ट्रिक वाहनों (Electric Vehicles) के लिए बड़े स्तर पर इंफ्रास्ट्रक्चर निर्माण पर जोर दिया है। अपने बजट भाषण में केंद्रीय वित्त मंत्री ने एलान किया कि सरकार जल्द ही बैटरी स्वैपिंग पॉलिसी (Battery Swapping Policy) लेकर आएगी। बैटरी स्वैपिंग सुविधा का फायदा यह होगा कि इलेक्ट्रिक व्हीकल (ईवी) में बैटरी चार्जिंग की समस्या खत्म हो जाएगी। साथ ही कोई भी ईवी वाहन स्वामी अपनी डिस्चार्ज बैटरी के बदले फुल चार्ज बैटरी ले सकता है। सरकार के इस नीति के लाने से लोगों में इलेक्ट्रिक गाड़ियां खरीदने को लेकर झिझक दूर होगी।
  • वित्त मंत्री ने बजट 2022-23 के लिए अपने भाषण के दौरान कहा कि चार्जिंग स्टेशन (EV Charging Stations) स्थापित करने के लिए शहरी क्षेत्रों में जगह की कमी को ध्यान में रखते हुए नीति लाई जा रही है। इसके अलावा उन्होंने यह भी कहा कि सरकार इंटरऑपरेबिलिटी मानकों को तैयार करेगी। वहीं ईवी इंफ्रास्ट्रक्चर में सुधार होने पर पब्लिक ट्रांसपोर्ट में ग्रीन तकनीक को बढ़ावा मिलेगा। बैटरी स्वैपिंग पॉलिसी के आने से सरकार बैटरी बनाने के लिए प्राइवेट सेक्टर को बढ़ावा देगी। अपने भाषण में उन्होंने यह भी कहा कि सरकार ई-व्हीकल्स के विकास के लिए स्पेशल मोबिलिटी जोन बनाएगी। भारत ने 2030 तक निजी कारों के लिए 30 फीसदी प्रतिशत ईवी की बिक्री, वाणिज्यिक वाहनों के लिए 70 फीसदी, बसों के लिए 40 फीसदी और दोपहिया-तिपहिया वाहनों के लिए 80 फीसदी का लक्ष्य रखा है।

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  • सड़क परिवहन और राजमार्ग मंत्रालय (MoRTH) के आंकड़ों के अनुसार, भारत में 9,74,313 पंजीकृत इलेक्ट्रिक वाहन हैं। लेकिन ब्यूरो ऑफ एनर्जी एफिशिअंसी (बीईई) के अनुसार, ईवी गाड़ियों की संख्या की तुलना में, पूरे देश में अब तक केवल 1,028 सार्वजनिक चार्जिंग स्टेशन (पीसीएस) स्थापित किए गए हैं। देश में इलेक्ट्रिक वाहनों की धीमी बिक्री का एक प्रमुख कारण इलेक्ट्रिक वाहनों का महंगा होना और चार्जिंग इंफ्रास्ट्रक्चर की कमी है।
  • कई राज्यों में निजी कंपनियों ने बैटरियों की अदला बदली के लिए बैटरी स्वैपिंग स्टेशन बनाने शुरू कर दिए हैं। भारत की रिलायंस इंडस्ट्रीज और ब्रिटेन की बीपी पीएलसी ने देश में बैटरी स्वैपिंग के लिए एक ज्वाइंट वेंचर बनाया है। इसके अलावा हीरो मोटोकॉर्प और ताइवान के गोगोरो ने भी बैटरी स्वैपिंग के लिए साझेदारी की है। वहीं इंडियन ऑयल ने भी इलेक्ट्रिक व्हीकल के लिए बैटरी स्वैपिंग सुविधा शुरू की है। आईओसी ने यह सुविधा पायलट प्रोजेक्ट के तहत यह सुविधा चंडीगढ़ के एक पेट्रोल पंप पर उपलब्ध कराई है, जहां से कोई भी मिनटों में डिस्चार्ज बैटरी के बदले में फुल चार्ज बैटरी ले सकता है। जिसके बाद इस सुविधा को दिल्ली, गुरुग्राम समेत अन्य शहरों में लॉन्च किया जाएगा। इस सुविधा का लाभ इलेक्ट्रिक ऑटो, इलेक्ट्रिक रिक्शा और इलेक्ट्रिक टू-व्हीलर जैसे कॉमर्शियल व्हीकल को मिलेगा। वहीं फैक्टरी फिटेड इलेक्ट्रिक व्हीकल भी बैटरी स्वैपिंग सुविधा का लाभ उठा सकेंगे।
  • जैसे आप अपनी गाड़ी में पेट्रोल, डीजल या सीएनजी भरवाने के फिलिंग स्टेशन या फ्यूल स्टेशन पर जाते हैं, वैसे ही सरकार की बैटरी स्वैपिंग नीति आने के बाद आपको कंपनियों के स्वैपिंग स्टेशन पर जाना होगा। वहां पर आपको अपनी पुरानी डिस्चार्ज बैटरी देनी होगी, जिसके बदले आपको फुल चार्ज दूसरी बैटरी मिल जाएगी। स्वैपिंग स्टेशन पर कई ब्रांड्स की बैटरी उपलब्ध होंगी, जहां लगातार कई बैटरियां चार्ज होती रहेंगी। बदले में आपको फुल चार्ज बैटरी का बिल चुकाना होगा।
  • इसका सबसे बड़ा फायदा यह होगा कि आपका वक्त बचेगा। आमतौर पर ईवी की बैटरी चार्ज होने में नॉमर्ल चार्जर से 8 से 10 घंटे लगते हैं, जबकि फास्ट चार्जर से डेढ़ से दो घंटे में बैटरी फुल चार्ज हो जाती है। वहीं अगर चार्जिंग स्टेशन पर भीड़ हुई तो आपको लंबा इंतजार भी करना पड़ सकता है। लेकिन बैटरी स्वैपिंग स्टेशन पर बैटरी की अदला-बदली कर आप इस झंझट से बच सकेंगे और अपने गंतव्य स्थान पर शीघ्र पहुंच सकेंगे। साथ ही लंबी दूरी भी आराम से तय कर सकेंगे।
  • वित्त मंत्री के अनुसार इस सेवा के लिए प्राइवेट सेक्टर को प्रोत्साहित किया जाएगा। यह नया बिजनेस मॉडल बनेगा जो ‘बैटरी या एनर्जी : एक सेवा’ की तरह प्रदान करेगी। इससे पूरे ईवी इको सिस्टम को मदद मिलेगी।
  • ईवी उत्पादकों के संगठन के के अनुसार 2022 में भारत में 10 लाख दोपहिया ईवी खरीदे जा सकते हैं। यह बीते 15 साल में नागरिकों द्वारा खरीदे गए कुल ईवी के बराबर है। 2021 में23 लाख वाहन बेचे गए थे। वहीं सड़क परिवहन मंत्रालय के अनुसार 2021 तक देश में 8.70 लाख ईवी पंजीकृत थे, इनमें 2.55 लाख अकेले यूपी में हैं।
  • दिसंबर 2021 में देश के 23 प्रतिशत ईवी यूपी में खरीदे गए। इनकी संख्या 10 हजार से अधिक रही। इसके बाद महाराष्ट्र 13, कर्नाटक 9 और राजस्थान 8 प्रतिशत के साथ आते हैं।

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