देश में ईंधन की कीमतें रोजाना नए रिकॉर्ड बना रही हैं। दिल्ली में पेट्रोल के दाम जहां49 रुपये हैं, वहीं मुंबई में 111 रुपये प्रति लीटर हैं। जबकि डीजल के भाव मुंबई में 102.15 रुपये प्रति लीटर को छू रहे हैं। ऐसे में ग्राहकों के लिए तेल की एक-एक बूंद बेशकीमती हो गई है। बीएस6 इंजन और ईंधन आने के बाद जैसे कि पहले दावे किए जा रहे थे कि गाड़ियां पहले से ज्यादा माइलेज देंगी, ऐसा भी नहीं हो रहा है बल्कि माइलेज पहले से घट गया है। ऐसे में फ्यूल पंप पर ईंधन भरवाने से पहले आपको कुछ बातों का ध्यान रखना चाहिए ताकि न तो ईंधन की बरबादी हो और न ही पैसे की, क्योंकि दोनों ही बेशकीमती हैं | वैसे देश अब इलेक्ट्रॉनिक वाहनों की तरफ तेज़ी से बढ़ रहा पर अभी इसमें बहुत समय लगेगा लेकिन तब तक के लिए तेल बचाने के लिए हम आपके लिए कुछ खास टिप्स लेकर आये है |
फ्यूल स्टेशन पर जब आप पेट्रोल-डीजल भरवाते हैं तो कई बार कट की आवाज आती है, जिसके बाद ऑटोमैटिक तरीके से पाइप के नोजल से फ्यूल निकलना बंद हो जाता है। उसके बाद आप मैनुअली ही टैंक फुल कर सकते हैं। ऑटो कट का मतलब है कि सेंसर के मुताबिक टैंक फुल हो चुका है। लेकिन कुछ लोग कीमतों को राउंड ऑफ करने के चक्कर में ओवर फिल कराने के लिए कहते हैं। वहीं कुछ अटैंडेट भी ऐसा करने के लिए आपको प्रेरित करता है। लेकिन जानकारों का कहना है कि ऐसा करना आपको भारी पड़ता है। नगद भुगतान करने वाले अक्सर छुट्टे की समस्या के चलते टैंक को ओवर फिल करने के लिए कहते हैं। लेकिन इसके परिणाम गंभीर हो सकते हैं। इसमें वायु प्रदूषण, इंजन की लो परफॉरमेंस शामिल है। अगर आप टैंक फुल करते हैं तो किसी और चीज के लिए जगह नहीं बचती है। गैसोलीन को वाष्प निर्माण के लिए कुछ जगह की आवश्यकता होती है और ईंधन को वाष्प के रूप में जलाया जाता है न कि लिक्विड रूप में। इसलिए, पेट्रोल की खासियत होती है कि वह वाष्प बनाता है ताकि दहन प्रक्रिया कुशलता से हो सके। कार की परफॉरमेंस, माइलेज और एमिशन इस बात पर निर्भर करता है कि इंजन में ईंधन कितनी कुशलता से बर्न हो रहा है। अगर टैंक में वाष्प बनने के लिए जगह नहीं है, तो कार की पावर आउटपुट और इंजन की परफॉरमेंस पर असर पड़ेगा, जिसके चलते बिना जला ईंधन हाइड्रोकार्बन के रूप में ज्यादा प्रदूषण फैलाएगा।
पेट्रोल-डीजल की खासियत होती है कि वह फैलता है, खासकर अधिक ताममान होने पर। यह तापमान में बदलाव की वजह से होता है। अगर आपको गाड़ी में तेल भरवाना है तो सुबह-सुबह का वक्त बेहतर रहता है। क्योंकि रात से लेकर सुबह तक फ्यूल डेनसिटी (ईंधन घनत्व) कम होता है। इसकी वैज्ञानिक वजह यह भी है गर्मी के मुकाबले ठंडे वातावरण में पेट्रोल-डीजल ज्यादा पतला होता है। वहीं अगर घनत्व ज्यादा होगा तो वह भारी होगा। दोपहर के मुकाबले सुबह जल्दी तेल भरवाने से आपको ज्यादा माइलेज मिलेगा।
कार में ईंधन भरवाने से पहले ट्रिपमीटर में जीरो सेट कर लें। वहीं कितने लीटर फ्यूल डलवाया है उसे तारीख और रीडिंग के साथ कहीं नोट कर लें। फ्यूल भरवाने के दौरान मोबाइल फोन का इस्तेमाल न करें, क्योंकि ये स्पष्ट निर्देश हैं कि पेट्रोल पंप पर फोन से बात न करें, जो घातक साबित हो सकता है। वहीं फोन पर बात करने से फ्यूल भरवाने के दौरान आपका ध्यान भटक सकता है और पेट्रोल पंप अटेंडेंट कोई चालाकी कर सकते हैं।
तेल कंपनियां दो प्रकार का तेल बेचती हैं, प्रीमियम और रेगुलर। प्रीमियम फ्यूल को हाई ऑक्टेन रेटिंग दी जाती है। वहीं कुछ एडिटिव्स और बूस्टर डाल कर इसके रिफाइन होने का दावा किया जाता है। दावा किया जाता है कि हाई ऑक्टेन होने से उच्च दहन मिलता है, जो इसे ऊर्जा में बदलता है। नियम यह है कि तय मानक से कम ऑक्टेन रेटिंग वाले ईंधन को जलाने से इंजन की परफॉरमेंस और पावर आउटपुट में कमी आती है। वहीं यह भी सच्चाई है कि हाई ऑक्टेन रेटिंग वाले फ्यूल से न कोई अतिरिक्त पावर मिलती है, और ही क्षमता में कोई खास बढ़ोतरी होती है। कुल मिला इसकी कीमतों के अनुपात में उतने फायदे नहीं मिलते हैं। ज्यादातर कार निर्माता 87 से लेकर 90 ऑक्टेन की सिफारित करते हैं, जो रेगुलर फ्यूल में मिलता है। वहीं हाई एंड इंजन जैसे V6, टर्बो जेट इंजन, स्पोर्ट्स कार के इंजन को ज्यादा ऑक्टेन की जरूरत होती है, प्रीमियम फ्यूल में 93 से 97 ऑक्टेन मिल जाता है।